जय माँ शारदे
💐जय माँ शारदे
विधा-गीत
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बासंती परिधान पहिनकर ,धरा आज हरसाई है।
ऋतुओं के राजा बसंत की,आज हुई पहुनाई है।।
भर गई छिमिया हरे मटर की,
गेहूं कैसा ..... गदराया है।
पीली पीली सरसों फूली ,
गोरी का मन भरमाया है।
दिग्दिगंत में गूंज उठे स्वर ,मधुर बजे शहनाई है।
ऋतुओं के राजा बसंत की ,आज हुई पहुनाई है ।
अमुआ पर कोयलिया बोले ,
कानों में अमृत रस घोले।
रंग बिरंगे पुष्प सुगंधित
मंडराते भँवरे भी डोले ।
मदमाते नव कुसमों ने फिर, नेह माल पहनाई है।
ऋतुओं के राजा बसंत की , आज हुई पहुनाई है ।
पीत पत्र झर गए वृक्ष के,
नव अंकुर प्रस्फुटित हुए।
मन विहग उड़ चला मगन हो,
नवल भाव संचरित हुए।
प्रेम और अनुराग संजोये , मिलने की ऋत आई है।
ऋतुओं के राजा बसंत की, आज हुई पहुनाई है।
पशु पक्षी भी लगे चहकने,
बहे सुहानी पुरवाई ।
रातें बीतीं शिशिर ऋतु की,
सूरज लेता अंगड़ाई ।
लिए फगुनवा ढोलक देखो , गाता फिरे बधाई है।
ऋतुओं के राजा बसंत की,आज हुई पहुनाई है।
विनीता गुप्ता छतरपुर मध्य प्रदेश
आज की प्रतियोगिता हेतु विषय स्वैच्छिक
Sushi saxena
14-Feb-2024 05:56 PM
Very nice
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Gunjan Kamal
02-Feb-2024 04:38 PM
👏👌
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सीताराम साहू 'निर्मल'
01-Feb-2024 12:57 AM
बेहतरीन
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